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लेखनी कहानी -29-Sep-2023 फॉर्म हाउस

फॉर्म हाउस भाग 12

इंस्पेक्टर आकाश की जेब से लाइटर निकाल कर हीरेन ने भरी अदालत में जादू कर दिया था । आकाश हक्का बक्का होकर बगलें झांकने लगा था । लोगों को तो हीरेन पर पहले से ही विश्वास था लेकिन अब रिषिता को भी होता जा रहा था । हीरेन ने जज अनिला तिवारी से कहा  "अभी आपने देखा योर ऑनर कि इंस्पेक्टर आकाश की जेब से एक लाइटर निकला जिसे इंस्पेक्टर आकाश अपना नहीं बता रहा है । इसका अर्थ है कि किसी ने वह लाइटर आकाश की जेब में रखा है । इसी तरह रिषिता के कमरे में भी रुपयों से भरा बैग किसी व्यक्ति ने रख दिया जिससे कत्ल का शक रिषिता पर ही जाये । और कातिल अपने उद्देश्य में सफल हो गया ।  पर पुलिस की लापरवाही देखिये कि रिषिता के कमरे की फोटोग्राफी नहीं कराई । उंगलियों के निशान नहीं लिये और पैरों के निशान भी नहीं लिये । यदि ये सब किया जाता तो उस व्यक्ति की पहचान हो सकती थी जिसने रिषिता के कमरे में पैसों से भरा बैग रखा था । अत: अब यह सिद्ध करना थोड़ा मुश्किल हो गया है कि रिषिता के कमरे में किसने बैग रखा था । अब थोड़ा घूम कर इसकी जांच करते हैं" ।  उसने इंस्पेक्टर आकाश की ओर मुड़कर उससे पूछा  "आपने नोटों से भरा बैग रिषिता के कमरे से बरामद किया था । क्या आप यह बता सकते हैं कि उसमें कितने नोट थे" ?  "जी, उन नोटों की गिनती करवाई गई थी । वे सारे 500-500 के नोट थे जो कुल 10 लाख रुपए थे" ।  "पॉइंट टु बी नोटेड मी लॉर्ड ! रिषिता के कमरे से केवल 10 लाख रुपए बरामद हुए थे जबकि लीना मल्होत्रा ने पुलिस में बयान दिया है कि लॉकर में 20-25 लाख रुपये और इतने ही मूल्य के गहने थे । अब प्रश्न यह उठता है मी लॉर्ड कि जब पूरा लॉकर खाली था और सारे रुपए और गहने रिषिता लेकर भाग गई तो उसके कमरे से भी इतने रुपए और गहने ही मिलने चाहिए थे । पर उसके कमरे से केवल 10 लाख रुपए ही मिले । तो फिर बाकी रुपए और गहने कहां गये ?

इसके लिए हमें फिर से किशोर कुमार के बयानों पर आना पड़ेगा । उसने अदालत में कहा था कि उस रात को उसने अपने घर के बाहर एक कार रुकते हुए देखी थी जिसमें से वीरेन्द्र और पवित्रा दोनों उतरे थे और उनके हाथ में एक बैग था । इससे स्पष्ट है कि वीरेंद्र और पवित्रा ने वह लॉकर साफ किया था और सारा रुपया, गहना लेकर अपने घर आ गये थे । बाद में इन्होंने रिषिता के कमरे में दस लाख रुपए रख दिये जिससे रिषिता दोषी सिद्ध हो जाये और ये लोग बच जायें । अब प्रश्न यह उठता है कि पवित्रा फॉर्म हाउस पर कैसे पहुंची ? यह पवित्रा या वीरेन्द्र ही बता सकता है । इसलिए वीरेन्द्र से एक बार पुन: जिरह करने की आवश्यकता है योर ऑनर" । हीरेन ने अदालत को समझाने का प्रयास किया ।

अबकी बार सरकारी वकील ने इसका विरोध किया मगर जज अनिला तिवारी ने हीरेन की प्रार्थना स्वीकार करते हुए वीरेन्द्र से जिरह करने की अनुमति दे दी । वीरेन्द्र को फिर से विटनेस बॉक्स में लाया गया और हीरेन ने उससे पुन: पूछताछ प्रारंभ कर दी  "तो मिस्टर वीरेन्द्र, बताइये आपके पास पवित्रा कैसे पहुंची और आपने रिषिता के कमरे में कब वह बैग रखा ? रिषिता का कमरा तुम्हें कैसे पता चला" ?

वीरेन्द्र ने हाथ जोड़कर कहा "किशोर झूठ बोल रहा है साहब । मैं उस रात घर ही नहीं गया था फिर किशोर हमें कैसे देख सकता है ? वह किसी के कहने से झूठी गवाही दे रहा है साहब" । उसकी एक्टिंग चालू थी ।

वीरेन्द्र की बात सुनकर हीरेन को हंसी आ गई । उसने वीरेन्द्र से कहा "तो तुम फॉर्म हाउस से केवल शराब की दुकान तक गये थे और वहां से सीधे ही फॉर्म हाउस आ गये थे । क्यों यही बात है" ?  "जी हां माई बाप, यही बात है" एक्टिंग में वीरेन्द्र भी कोई पवित्रा से कम नहीं था । शायद यही कारण था जो पवित्रा और वीरेंद्र एक दूसरे के नजदीक आ गये थे ।

हीरेन ने कुछ कागज निकाले और उन्हें जज अनिला तिवारी को दिखाते हुए कहा  "यदि वीरेन्द्र और पवित्रा उस रात कहीं नहीं गये थे तो फिर 'भारत हॉस्पिटल' में उस रात ये लोग क्या कर रहे थे ? ये दस्तावेज भारत हॉस्पिटल के हैं जो इन दोनों की उपस्थिति उस रात वहां बता रहे हैं । पवित्रा का बेटा भी उस रात वहीं था । वस्तुत: उसी के लिए ये दोनों वहां गये थे । अब बाकी कहानी तुम बताओगे या फिर मैं ही सुनाऊं" ? हीरेन ने वीरेंद्र की ओर देखकर कहा ।

इस खुलासे से वीरेन्द्र सकते में आ गया था । उसे उम्मीद नहीं थी कि हीरेन भारत हॉस्पिटल तक पहुंच जायेगा । वह टूट गया और रोते रोते कहने लगा  "साहब , उस रात मैं शराब लेकर फॉर्म हाउस लौट रहा था कि रास्ते में पवित्रा का फोन आ गया । उसने बताया कि शशांक का पैर फिसल गया है और वह दर्द से कराह रहा है । यह बात सुनकर मैं सीधा हजरतगंज आ गया और यहां से पवित्रा और शशांक को लेकर भारत हॉस्पिटल आ गया । शशांक के फ्रेक्चर हो गया था । उसका एक्सरे हो गया था पर रात में हड्डियों वाला डॉक्टर नहीं था इसलिए शशांक को वहीं भर्ती करना पड़ा । शशांक को सुलाकर हम दोनों फॉर्म हाउस आ गये । वहां जब देखा कि राज मलहोत्रा मरा पड़ा है , लॉकर खुला पड़ा है और रिषिता कहीं नहीं है । तब मेरे मन में लोभ आ गया और वहीं पड़े रिषिता के बैग में सारा माल भरकर हम दोनों हजरतगंज वाले मकान पर आ गये । वह बैग वहीं छोड़कर फिर हम दोनों उसी गाड़ी से वापिस हॉस्पिटल आये और वहां पर पवित्रा को छोड़कर मैं फॉर्म हाउस में आ गया। उस रात की यही कहानी है जज साहब, इसमें अब जरा भी झूठ नहीं है" ।  वीरेंद्र के क्रंदन की आवाज पूरी अदालत में गूंज रही थी ।

शेष अगले भाग में  श्री हरि  10.10.23

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4 Comments

Punam verma

12-Oct-2023 07:59 AM

Nice turn

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Mohammed urooj khan

11-Oct-2023 12:23 PM

👌👌👌

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Reena yadav

10-Oct-2023 11:13 PM

👍👍

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